जाह्नवी कपूर को क्या श्रीदेवी की बेटी होने का ‘नुकसान’ भी झेलना पड़ा है?

Jhanvi Kapoor

श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर ने अपने करियर की शुरुआत फ़िल्म धड़क के साथ की थी. फ़िल्म में उनके साथ ईशान खट्टर थे.

धड़क मराठी की सुपरहिट फ़िल्म सैराट का हिंदी रीमेक थी. एक ओर जहां सैराट को जमकर तारीफ़ मिली वहीं धड़क के लिए लोगों की प्रतिक्रिया काफ़ी मिली-जुली थी.

ख़ासकर जाह्नवी कपूर के लिए. लोगों ने उनके लुक, उनकी डायलॉग डिलीवरी और एक्टिंग सभी कुछ को उनकी माँ से तुलना करते हुए देखा.

एक दौर ऐसा भी रहा जब जाह्नवी की एक्टिंग को लेकर काफ़ी नकारात्मक बातें भी सुनने को मिलीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी.

जाह्नवी के लिहाज़ से जो सबसे अच्छी बात रही वो ये कि उन्होंने किरदारों के साथ प्रयोग करना कभी नहीं छोड़ा.

उन्होंने हर बार एक नये तरह का किरदार चुना. वो चाहे गुंजन सक्सेना की फ़्लाइट-गर्ल का किरदार हो, या फिर शॉर्ट मूवी घोस्ट-स्टोरीज़ का किरदार. रूही और गुड लक जेरी के किरदार भी एक-दूसरे अलग और चैलेंजिंग थे.

जाह्नवी की एक और फ़िल्म ‘मिली’ चार नवंबर को रिलीज़ होने जा रही है. यह पहली फ़िल्म है जो उन्होंने अपने पिता और प्रोड्यूसर बोनी कपूर के साथ की है.

अपने करियर, अब तक के सफ़र और परिवार के दूसरे सदस्यों के बारे में बीबीसी हिंदी के लिए नयनदीप रक्षित ने जाह्नवी कपूर सेबात की.

Jhanvi Kapoor

जाह्नवी मानती हैं कि शुरुआती दौर उनके लिए काफ़ी मुश्किल रहा. उन्हें लोगों की बातों से बुरा भी लगता था. लेकिन बुरा लगने की वजह लोगों का उन्हें जज करना नहीं था.

जाह्नवी मानती हैं कि श्रीदेवी की मौत के बाद उन्होंने एक अनहेल्दी चीज़ की थीं और वो ये थी कि एक्टर बनने के बाद जो प्यार और अपनापन उन्हें अपनी माँ से चाहिए था वो उसकी लोगों से उम्मीद करने लगी थीं. लेकिन जब वो उन्हें नहीं मिला, तो उन्हें काफ़ी बुरा लगा था.

उन्होंने बताया, “मुझे बुरा इसलिए नहीं लगा कि लोग मुझे जज कर रहे थे, बल्कि बुरा इसलिए लगा कि मैं लोगों की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी थी. मेरी पहली फ़िल्म के साथ ही मैं सबके भरोसे पर खरी नहीं उतर पाई थी. शायद वो एक क़िस्म का बोझ था ”

“मैं ठीक तरह से परख नहीं पाई कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. मुझे बहुत सी चीज़ें करनी थीं लेकिन मैं कर नहीं पाई. हाँ लेकिन मैं पहले दिन से लेकर अभी तक सिर्फ़ और सिर्फ़ मेहनत ही करती आ रही हूँ.”

जाह्नवी मानती हैं कि समय के साथ लोगों का व्यवहार उनके प्रति बदला है. वो कहती हैं, “लोगों को अब मेरी मेहनत, मेरा काम दिख रहा है. उन्हें मेरा काम अब पसंद आ रहा है और ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. यह महसूस करना बहुत ही अच्छा है.”

जाह्नवी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का शौक़ था लेकिन बीच में एक दौर ऐसा भी आया था, जब लोगों के सवालों के वजह से उन्होंने एक्टिंग में नहीं जाने के बारे में भी सोचना शुरू कर दिया था.

जाह्नवी कहती हैं, “सिनेमा मेरे खून में है. लोग ये समझ लेते हैं कि श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी है तो इसे ज़िंदगी में सब कुछ आसानी से मिल गया है लेकिन फिर उन्हें ये भी मानना चाहिए कि मेहनत से काम करना, ईमानदारी से काम करना और इस कला के लिए जान लगाकर काम करना भी मेरे खून में है.”

”ऑडिशन दिया, रोल किसी और को मिल गया”

हालाँकि वो ये मानती हैं कि सिनेमाई-परिवार से आने के नाते उनके लिए चीज़ें कुछ आसान रहीं लेकिन उन्हें काम तो करना ही पड़ता है, वो भी पूरी मेहनत और ईमानदारी से.

वो कहती हैं, “बिल्कुल फ़िल्मी परिवार से ताल्लुक़ रखने की वजह से सबसे पहले तो मुझे मुंबई शहर में सर्वाइवल के लिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं पड़ी. ऑडिशन्स की भागदौड़ में जाते हुए ये सोचना कि मैं मुंबई में कैसे सर्वाइव करूँ. मेरे सिर पर छत कैसे होगी… खाना कैसे खाऊँगी. ये बेसिक स्ट्रगल नहीं थे मेरे. कहां जाना है, किससे मिलना है, ये भी चुनौतियाँ नहीं थीं क्योंकि मैं जानती थी कि ये-ये फ़िल्में बन रही हैं, इन डायरेक्टर्स से मिल सकती हूँ और ऑडिशन देने जा सकती हूँ. मैं ट्रेन में धक्के खाते हुए ऑडिशन के लिए नहीं जा रही थी, मैं मेरी कंफ़रटेबल गाड़ी में मेरे कंफ़रटेबल घर से निकलकर जा रही थी. मैं वेटरेन अभिनेताओं से सलाह लेकर जा रही थी और ये मेरा प्रिविलेज था.”

जाह्नवी ने बताया कि उन्होंने बहुत सारे ऑडिशन दिए हैं. यहाँ तक कि धड़क के लिए भी उन्होंने ऑडिशन दिया था. वो बताती है कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है कि उन्होंने किसी फ़िल्म का ऑडिशन दिया लेकिन वो रोल बाद में किसी और को दे दिया गया.

जाह्नवी मानती हैं कि लोगों ने स्टारकिड्स को लेकर शायद एक सोच बना ली है कि उन्हें सबकुछ आसानी से मिल जाता है लेकिन ऐसा नहीं है. जाह्नवी कहती हैं कि ऐसा बचपन से होता आ रहा है.

अपने बचपन के क़िस्सों को बताते हुए वो कहती हैं, “बचपन से ही ऐसा होता आ रहा है. बचपन में अगर मुझे फ़ुल मार्क्स मिल जाते थे तो कहा जाता था कि वो इसलिए मिले क्योंकि टीचर श्रीदेवी की फ़ैन थी.”

Jhanvi Kapoor

अर्जुन कपूर और उनकी बहन अंशुला ने संभाला

जाह्नवी बताती हैं कि उनके पिता बोनी कपूर ने उन्हें पहले ही क्लीयर कर दिया था कि मेरी पहली फ़िल्म उनके साथ नहीं होगी और मुझे अपने लिए काम ढूँढना ही होगा.

श्रीदेवी के निधन के बाद जिस तरह से अर्जुन कपूर और उनकी बहन अंशुला ने जाह्नवी और उनकी छोटी बहन खुशी को सँभाला, जाह्नवी उसे एक ब्लेसिंग मानती हैं.

वो कहती हैं, “उनके आ जाने से मेरा सपोर्ट सिस्टम बढ़ा गया. मुझे प्यार देने वाले और जिन्हें मैं प्यार दे सकूँ, वो दो लोग मेरी ज़िंदगी में बढ़ गए हैं.”

जाह्नवी कहती हैं कि अगर उन्हें अपने परिवार के हर सदस्य से अगर कुछ क्वालिटी लेनी हो तो अंशुला से वो उनकी समझदारी, अर्जुन कपूर से उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर, बोनी कपूर से उनकी पॉज़ीटिविटी लेना चाहती हैं. वहीं खुशी से वो उनकी सच्चाई लेना चाहेंगी.

Subhash Kumar

Subhash Kumar

           मैं peru-badger-883262.hostingersite.com का संस्थापक और एक डिजिटल पत्रकार हूँ। पिछले 5 वर्षों से शिक्षा, सरकारी योजना और तकनीकी खबरों पर सरल भाषा में विश्वसनीय जानकारी लोगों तक पहुँचा रहा हूँ। आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं: Subhashgaya2023@gmail.com

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